कक्षा 9वीं से स्नातक तक के छात्रों के लिए बड़ी खबर - 8 परीक्षाएं होगी

कक्षा 9वीं से स्नातक तक के छात्रों के लिए बड़ी खबर – 8 परीक्षाएं होगी

कक्षा 9वीं से स्नातक तक के छात्रों के लिए बड़ी खबर – 8 परीक्षाएं होगी:-स्कूली बच्चों की डिजिटल कुंडली तैयार हो रही हैं। इससे देश या दुनिया के किसी कोने में बैठे एक क्लिक में बच्चों की पर्सनल और एजुकेशनल उपलब्धियों की जानकारी एक क्लिक में हो जाएगी। इससे नामांकन और सरकारी योजनाओं के लाभ के साथ ही नौकरी में फर्जीवाड़ा पर पूरी तरह रोक लगेगी।

जिला या राज्य से बाहर किसी शिक्षण संस्थान में नामांकन के लिए जाने पर बच्चे के वेरिफिकेशन में भी आसानी होगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की पहल पर सूबे के करीब 2.44 करोड़ बच्चों का पेन यानी पर्सनल एजुकेशन नंबर जेनरेट किया जा रहा है। वहीं, मुजफ्फरपुर के 3299 सरकारी स्कूलों में नामांकित 10 लाख से अधिक बच्चों को पेन नंबर मिलेगा। बच्चों की शैक्षणिक गतिविधियों को एक क्लिक पर जानने के लिए जल्द ही उन्हें पेन यानी पर्सनल एजुकेशन नंबर दिया जाएगा। इसको लेकर विभाग की ओर से तैयारी अंतिम चरण में है। यह एक यूनिक आईडी होगा। इससे किसी भी बच्चे का पहली से लेकर 12वीं तक के शैक्षणिक गतिविधि को देश भर में कहीं भी जाना जा सकता है।

12 अंक के इस पर्सनल एजुकेशन नंबर के बिना आने वाले समय में सरकारी या निजी स्कूल और कॉलेज में नामांकन लेना असंभव होगा। इसके बिना न तो किसी बच्चे को कहीं पर नामांकन मिलेगा, न ही उन्हें शैक्षणिक व्यवस्था से जुड़ी किसी भी सुविधा का लाभ मिलेगा। जिला शिक्षा विभाग से बताया गया कि यू-डायस (यूनिफाइड डिस्ट्रिक इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन) से लिंक्ड स्टूडेंट प्रोफाइल में बच्चों का डाटा फीड किया जाता है। नए नामांकन वाले बच्चों का डाटा अपलोड करने के साथ ही इसमें क्लास प्रमोशन पर हर साल अपडेट भी किया जाना है। इसमें बच्चों से जुड़ी 53 प्रकार की जानकारी फीड की जाती है। सत्र 2024-25 के यू-डायस अपग्रेडेशन का काम जल्द शुरू होगा।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बच्चों की शैक्षणिक यात्रा को एक प्लेटफॉर्म पर लाने के लिए पेन तैयार किया है। इसमें प्ले स्कूल के साथ ही प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक और उच्च शिक्षा तक का रिकॉर्ड रहेगा। हर साल की उपलब्धि अंक या क्रेडिट के रूप में जुड़ती जाएगी। इसके अलावा बच्चे से जुड़ी व्यक्तिगत जानकारी, जैसे- नाम, माता-पिता का नाम, जन्मतिथि, उम्र, लिंग, वजन और पता आदि भी अपडेट रहेगी। क्लास प्रमोशन का रिकॉर्ड भी अपडेट किया जाएगा।

पर्सनल एजुकेशन नंबर मिलने के बाद डीबीटी में होने वाले फर्जीवाड़े व दो जगह पर पढ़ने वाले बच्चों की जानकारी विभाग को आसानी से मिल जाएगी। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 9वीं व 11वीं में रजिस्ट्रेशन के लिए भी पेन अनिवार्य किया जाएगा। साथ ही स्कूल और शिक्षा से जुड़ी हर काम के लिए बच्चों को परमानेंट एजुकेशन नंबर देना होगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से पेन को डिजी लॉकर से जोड़ने की भी योजना तैयार की गई है।

राज्य के कॉलेजों में पिछले साल स्नातक में च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू होने के बाद सेमेस्टर सिस्टम से परीक्षाएं होनी शुरू हो गई हैं और इस वजह से परीक्षाओं की संख्या दोगुनी हो गई है। जहां स्नातक में पहले फर्स्ट, सकेंड और थर्ड ईयर मिलाकर साल में तीन परीक्षाएं होती थीं अब आठ परीक्षाएं होंगी। वहीं पीजी, अन्य कोर्स तथा वोकेशनल कोर्स की परीक्षाएं मिलाकर यह संख्या और भी बढ़ जाएगी। इसका असर अभी से दिखने लगा है, परीक्षाएं और रिजल्ट लेट होने लगे हैं। विश्वविद्यालयों पर परीक्षा का दबाव बढ़ गया है। पहले जब तीन साल में तीन परीक्षाएं हो रहीं थीं तब तो विश्वविद्यालयों को सत्र नियमित रखने में दम फूल रहा था। आने वाले दिनों में अगर कोई व्यवस्था नहीं सोची गयी तो हालात और बुरे होंगे।

पटना विश्वविद्यालय समेत राज्य के ज्यादातर कॉलेजों में परीक्षा भवन की भारी कमी है। परीक्षा हॉल कम पड़ रहे हैं। कुछ कॉलेजों में परीक्षा भवन हैं भी तो वहां दूसरे डिपार्टमेंट या वोकेशनल कोर्स चल रहे हैं, क्योंकि कॉलेजों में जगह की भारी कमी है। परीक्षा भवनों की कमी या उसमें दूसरे विभागों के क्लास चलने का प्रभाव परीक्षाओं के आयोजन पर पड़ रहा है। इसका असर आगे सत्र पर भी पड़ सकता है। जहां सत्र नियमित है, वहां भी परीक्षाएं लेट हो जा रही हैं। वहीं जहां सत्र अनियमित है, वहां की स्थिति तो बहुत ही दयनीय हो गयी है।

पटना विश्वविद्यालय में साइंस कॉलेज का भवन गंगा पथ के कनेक्टिंग रोड के लिए तोड़ दिया गया। परीक्षा के लिए भवन निर्माण की राशि करीब छह करोड़ रुपए विश्वविद्यालय को मिल चुकी है, लेकिन अब तक कोई पहल उस ओर नहीं की गई है। पटना कॉलेज में परीक्षा भवन का निर्माण कार्य अभी पूरी नहीं हुआ है। दो वर्ष पहले ही उसका काम शुरू हो गया था लेकिन अभी परीक्षा भवन का कार्य काफी धीमा है। वीएन कॉलेज की बात करें तो वहां परीक्षा भवन में वोकेशनल कोर्स के विभाग चल रहे हैं। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कॉलेजों में तो इससे भी बुरी स्थिति है। ज्यादातर कॉलेजों में परीक्षा भवन नहीं है। नालंदा खुला विश्वविद्यालय को नया भवन तो मिला है लेकिन वहां भी परीक्षा भवन नहीं है। एक 2500 कैपेसिटी के परीक्षा भवन के निर्माण का आश्वासन सरकार की ओर से मिला है।

ऐसे में अगर विश्वविद्यालय को सत्र नियमित रखनी है तो गर्मी छुट्टी यानी जीरो सेशन के दौरान परीक्षाएं करानी पड़ सकती है। हालांकि शिक्षक गर्मी छुट्टी में परीक्षाओं का विरोध कर रहे हैं।

चार वर्षीय स्नातक नया कोर्स लागू होने के बाद विश्वविद्यालयों पर परीक्षाओं का पहले से काफी अधिक दबाव है। कॉलेजों में परीक्षा भवनों की काफी आवश्यकता है। हालांकि कई नये निर्माण कार्य चल रहे हैं, उससे आगे सुविधा होगी। साथ ही गर्मी की छुट्टी में परीक्षाएं कराकर भी सत्र को पिछड़ने नहीं दिया जायेगा और जो परीक्षाएं लेट हैं, उसे जुलाई में सत्र शुरू होने से पहले संपन्न करा लिया जायेगा।

Whatsapp Group JoinCLICK HERE
TELEGRAMjoin
YOUTUBESUBSCRIBE

Bihar Special

Latest Jobs

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top