हेल्थ वर्कर बन गांव में रहकर कमा सकते हैं लाखों- ग्रामीण हेल्थ केयर वर्कर सामान्य इलाज करने के लिए प्रशिक्षित किये जाते हैं, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में प्रारंभिक प्रबंधन यानी शुरुआती इलाज उपलब्ध करा सके और आगे के इलाज के लिए गंभीर रूप से बीमार या घायल मरीजों को अस्पतालों तक पहुंचाया जा सके। ग्रामीण हेल्थ केयर वर्कर की प्राथमिक जिम्मेदारियों में मामूली बीमारियों का इलाज, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और बच्चों की देखभाल शामिल होते हैं।
क्या होता है इनका काम
वह परिवार नियोजन सेवाओं, स्वच्छता के लिए जागरूकता फैलाना, संक्रामक रोगों की स्क्रीनिंग, स्वास्थ्य शिक्षा गतिविधियों का प्रदर्शन, आंकड़े इकट्ठा करना, रिकॉर्ड बनाए रखना और स्वास्थ्य ज्यादा खराब होने पर क्षेत्रीय लोगों को अस्पतालों तक पहुंचाना भी इनका काम होता है। वे ग्रामीण समुदाय के सदस्यों के साथ काम में हाथ बंटाते हैं और मेडिकल प्रोफेशनल्स व शिक्षकों के लिए डेटा एकत्र करने से लेकर सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक पूरा करते हैं।
कोर्स के दौरान क्या सिखाया जाता है
कोर्स के दौरान उन्हें ग्रामीण इलाकों में आपातकालीन स्थिति या किसी भी तरह की आपदा की स्थिति में किस तरह समुचित मेडिकल सुविधाओं का प्रबंध कराया जाए यह सिखाते हैं, उनकी तीमारदारी और सेवा कैसे की जाती है उसकी सीख दी ख दी जाती है। किन अलग- अलग माध्यमों का इस्तेमाल करके जागरूकता के संदेश लोगों तक पहुंचाया जाए, वह बताते हैं। साथ ही किसी परेशानी के समय गर्भवती महिलाओं और बच्चों की देखभाल कैसे की जाए इसकी भी ट्रेनिंग भली-भांति दी जाती है।
कहां-कहां हैं अवसर
डिप्लोमा इन रूरल हेल्थ केयर कोर्स करने के कहां-कहां हैं अवसर डिप्लोमा इन रूरल हेल्थ केयर कोर्स करने के बाद बतौर कर्मचारी स्वास्थ्य विभाग, परिवार नियोजन मंत्रालय, पर्यावरण विभाग के अलावा सरकारी व गैर-सरकारी एनजीओ में तो नौकरी कर सकते हैं, बल्कि प्राइवेट ऑर्गनाइजेशन की सीएसआर डिपार्टमेंट में भी नौकरी के विकल्प मौजूद होते हैं।
तजुर्बे के साथ बढ़ता है वेतन
यह कोर्स करने के बाद आप बतौर कर्मचारी अपने कॅरियर की शुरुआत कर सकते हैं। शुरुआती वेतन के तौर पर 10 से 15 हजार रुपए तक मिल सकता है। लेकिन तजुर्बे के आधार पर प्रमोशन पाकर आप सुपरवाइजर व डेवलपमेंट ऑफिसर भी बन सकते हैं। इससे वेतन में भी इजाफा होता है। इसके आलावा ग्रामीण इलाकों में खुद का क्लीनिक शुरू कर या किसी प्राइवेट क्लीनिक में भी उचित वेतन पर काम कर अपना कॅरियर संवार सकते हैं।
ग्रामीण हेल्थ वर्कर बन सुधारें सबकी सेहत
ग्रामीण हेल्थ केयर वर्कर ग्रामीणों के साथ मिलकर स्वास्थ्य व स्वच्छता और डेंगू, मलेरिया जैसे रोगों से बचने पर चर्चा करते हैं और उन्हें आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए ट्रेनिंग देते हैं ग्रामीण हेल्थ केयर वर्कर के क्षेत्र में कॅरिअर वही बना सकता है जिसमें सेवाभाव का जज्बा हो। जिसके मन में स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियों को जड़ से निकाल फेंकने का सपना हो और शहरों से दूर ग्रामीण इलाकों में रहने में कोई परेशानी न हो। अगर आपमें ये सभी खूबियां हैं, तो आप इस फील्ड को अपने कॅरियर का रास्ता चुन सकते हैं। इस फील्ड में कॅरियर बनाने के लिए अभ्यर्थी को किसी भी संकाय से व मान्यता प्राप्त बोर्ड से 12वीं पास होना जरूरी है। अभ्यर्थी रूरल हेल्थ केयर में 1 वर्ष व 2 वर्ष का डिप्लोमा लेकर इस फील्ड में एक्सपर्ट बन सकते हैं और हर एक कार्य को प्रैक्टिकली जान और समझ सकते हैं।
आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए मिलती है ट्रेनिंग
नेशनल हेल्थ और फैमिली सर्वे रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत ने पिछले दो दशकों में अपनी आबादी के स्वास्थ्य सूचकांक में उल्लेखनीय प्रगति की है, हेल्थ केयर सेक्टर में प्रगति के साथ प्राइमरी हेल्थकेयर वर्कर सिस्टम की रीढ़ बनकर उभरी हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य परिणामों में सुधार का वहां ट्रेन्ड ह्यूमन रिसोर्स वजह से हुआ है।
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