12वीं बाद कार्टोग्राफी कोर्स कर के कमा सकते हैं लाखों

12वीं बाद कार्टोग्राफी कोर्स कर के कमा सकते हैं लाखों

12वीं बाद कार्टोग्राफी कोर्स कर के कमा सकते हैं लाखों:-किसी के जीवन में कम से कम एक समय ऐसा आता है जहां हमें मानचित्र का उपयोग करना पड़ता है। मानचित्र आमतौर पर हमें खो जाने से बचाता है और सुरक्षित रूप से गंतव्य तक ले जाता है। मानचित्र की लागत कम होती है और यात्रा के दौरान मानचित्र अपने साथ रखना कोई असामान्य बात नहीं है। लेकिन हममें से ज्यादातर लोगों ने यह नहीं सोचा होगा कि कागज का वह टुकड़ा कैसे बनता है और इसके पीछे किसका हाथ है|

मैप बनाने की कला को कार्टोग्राफी कहा जाता है। इस काम को अंजाम देने वाले को कार्टोग्राफर कहते हैं। घर बनाने से लेकर बड़े-बड़े बिजनेस सेंटर के निर्माण के लिए नक्शा तैयार करना या करवाना पड़ता है।
ट्रैवल प्लानिंग हो या टाउनशिप प्लानिंग, ऐसे कई काम में मैप की जरूरत पड़ती है। कार्टोग्राफर या मैप मेकर तरह-तरह के नक्शे और चार्ट्स के जरिए मुश्किल आंकड़ों और जटिल तथ्यों को आसानी से समझा देते हैं। इससे समय की काफी बचत होती है। एक कार्टोग्राफर जटिल से जटिल तथ्यों को मानचित्र, चार्ट्स, आरेख के माध्यम से प्रस्तुत करके सरल और सुस्पष्ट बनाता है।

मैप बनाने में डिजाइन, लेआउट, स्केचिंग, एडिटिंग, प्रिंटिंग जैसे अनेक पहलुओं पर कार्टोग्राफर को दिमागी कसरत करनी पड़ती है। आजकल हवाई फोटोग्राफी, रिमोट सेंसिंग, इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर आदि का प्रयोग कार्टोग्राफी में होने लगा है। कार्टोग्राफी का दायरा बहुत बड़ा है। इस क्षेत्र में कई नई शाखाएं विकसित हुई हैं। इनमें प्राकृतिक मानचित्र, सांख्यकीय मानचित्र, वैज्ञानिक मानचित्र, थीमेटिक मानचित्र, राजनीतिक मानचित्र और जलवायु मानचित्र के अलावा वितरण व समाचार पत्र संबंधी मानचित्र कला विशेष महत्त्व के हैं। कार्टाग्राफी का संबंध मुख्य रूप से भूगोल, इकोनॉमिक्स और सांख्यिकी से है। यदि आपकी दिलचस्पी इन विषयों में है और आप नवीन जानकारियां एकत्र करने में रुचि रखते हैं तो कार्टोग्राफी एक बेहतर कॅरियर विकल्प हो सकता है। आप कार्टोग्राफी में डिप्लोमा कर सकते हैं। उसके बाद कई सरकारी अथवा प्राइवेट संस्थानों में आपको नौकरी मिल सकती है।

कार्टोग्राफी कोर्स करने के बाद मैपिंग असिस्टेंट, जीआईएस कार्टोग्राफी असिस्टेंट, जीआईएस एनालिस्ट कोऑर्डिनेटर, मैपिंग साइंटिस्ट, प्रोफेसर, टेक्निकल सपोर्ट एनालिस्ट, जीआईएस सेल्स मैनेजर, इंटरनेट प्रोडक्ट सॉफ्टवेयर इंजीनियर, एप्लीकेशन प्रोग्रामर जैसे पदों पर नौकरी करने का अवसर मिलता है।

इसमें प्रवेश की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता ग्रेजुएशन है। इकोनॉमिक्स और जियोग्राफी से ग्रेजुएट छात्रों को प्रवेश में प्राथमिकता दी जाती है। एमए या एमएससी उत्तीर्ण छात्र भी चाहें तो इस पाठ्यक्रम में प्रवेश पा सकते हैं। संस्थानों में प्रवेश संबंधी सूचनाएं समय-समय पर समाचार पत्रों या वेबसाइट के माध्यम से प्रकाशित होती रहती है।हाल के दिनों में कुछ संस्थानों ने एक साल के डिप्लोमा पाठ्यक्रमों की भी शुरुआत की है। यदि आप बारहवीं के बाद कार्टोग्राफी करना चाहते हैं, तो किसी संस्थान से कार्टोग्राफी में डिप्लोमा लेकर किसी संस्था से जुड़ सकते हैं। कई शिक्षण संस्थान कार्टोग्राफी या इससे संबंधित क्षेत्र में स्नातक के पाठ्यक्रमों का संचालन करते हैं। इसके अलावा कार्टोग्राफी में मास्टर डिग्री भी होती है।

एक साल के डिप्लोमा कोर्स करने वाले अभ्यर्थी को शुरुआत में 25,000 से 30,000 रुपए तक का मासिक वेतन मिलता है। एक अनुभवी कार्टोग्राफर को हर महीने 50,000 से एक लाख रुपए या फिर उससे भी अधिक का सैलरी पैकेज मिल जाता है। अगर नौकरी किसी मल्टीनेशनल कंपनी या विदेश में लगती है तो सालाना पैकेज कई गुना अधिक हो सकता है। एक अमेरिकी संस्था व्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक वर्ष 2024 तक कार्टोग्राफी के क्षेत्र में 29 फीसदी ग्रोथ की संभावना है।

एक कार्टोग्राफर को ज्योग्राफी और एनवॉयरनमेंट का बेसिक नॉलेज होना बहुत जरूरी है। जिन लोगों में डिजाइनिंग का सेंस होता है, वे किसी फोटोग्राफ और ड्रॉइंग को वारीकी से समझ कर मैप आसानी से क्रिएट कर सकते हैं। काटोग्राफी फील्ड में आने के लिए मैथमेटिकल स्किल्स और रिसर्च वर्क भी आना चाहिए। उनमें विजुअलाइजेशन, पेशेंस, हार्डवर्क और काम को लेकर डेडिकेशन जैसी क्वॉलिटीज भी होनी चाहिए। कार्टोग्राफर क्लाइंट के डिमांड के हिसाब से मैप तैयार करता है।

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